
National unity day: “जनशक्ति, बिना एकता के कोई शक्ति नहीं, जब-तक कि इस शक्ति को सही से सामंजस्यपूर्ण तथा एकजुटता के साथ न किया जाए, तभी यह एक आध्यात्मिक-शक्ति बन सकती है: पटेल”
प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्तंभों में से एक तथा स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-प्रधान मंत्री तथा गृह-मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती का प्रतीक है। उन्हें, उनके निर्णायक नेतृत्व के लिए याद किया जाता है, जिसके कारण उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा जाने लगा। सरदार पटेल के दृष्टिकोण का लक्ष्य राष्ट्र के सभी नागरिकों को उनकी जाति, राष्ट्रीयता, लिंग या धर्म की परवाह किए बिना उन्हें एक साथ रखना था।
National unity day: सरदार वल्लभ भाई पटेल का इतिहास
राजनेता होने के साथ-साथ वे प्रतिष्ठित वकील, बैरिस्टर तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी थे। पटेल उन कुछ-एक महान नेताओं व स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिनके न सिर्फ आजादी से पहले के बल्कि आजादी के बाद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी मिलने के बाद सरदार पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत का लौह पुरुष तथा भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
National unity day: वक़ालत से स्वतंत्रता संग्राम तक का सफ़र
पटेल जी क़ानूनी शिक्षा के जानकार थे। उन्होंने लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई की और भारत वापस आकर वकालत करने लगे। गांधी के विचारों से प्रेरित होकर पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिए। पटेल जी द्वारा सबसे बड़ा योगदान ‘खेड़ा ‘ – 1918 में दिया गया था।
खेड़ा में किसानों पर व्रिटिश सरकार के अत्याचारों और कर से राहत पर मना करने कारण पटेल जी ने खेड़ा में आंदोलन शुरू किया और यहीं से उन्होंने वकालत त्यागकर सामाजिक जीवन में अपने कदम रखें।
National unity day: पटेल के साथ ‘सरदार’ नाम का जुड़ना
1928 में, पटेल जी ने ‘बारदोली सत्याग्रह’ में हुए किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व किया था । बारदोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने पर, वहाँ की महिलाओं ने पटेल जी को ‘सरदार’ की उपाधि दी।